Friday 4 September 2015

हार्दिक पटेल की नरेंद्र मोदी को हार्दिक प्रणाम

 गुजरात भूकंप की धरती है। गांधी के इस देश में लगभग 30 साल तक (3 साल के अपवाद के साथ) कांग्रेस की सरकार रही। प्रारंभिक दस साल उस ने पटेल समुदाय का खूब तुष्टीकर्ण किया परंतु उसके बाद क्षत्री, हरिजन, आदिबासी और मुसलमानों को मिलाकर अपने विशेष वोट बैंक की स्थापना की। उसके खिलाफ पटेल समुदाय  ने 1981 में नवनिर्माण के नाम से जबरदस्त आंदोलन शुरु किया और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया। यह आंदोलन वैसे तो आरक्षण के खिलाफ था लेकिन उस के कारण सत्ता जनता परिवार के चिमन भाई पटेल के हाथों में आ गई जब वह अवसरवाद और भ्रष्टाचार के दलदल में जा धंसे तो पटेल समुदाय ने भाजपा का रुख किया और केशूभाई पटेल को सिंहासन पर बिराजमान कर दिया। केशुभाई को भुज का भूकंप ले डूबा और नरेंद्र मोदी के भाग खुल गए उन्होंने सांप्रदायिकता की आग को ऐसे हवा दी कि पटेल समाज जाति अंतर भुलाकर उनका सर्मथक बन गया। यह जादू गत वर्ष तक सिर चढ कर बोलता रहा।
मोदी जी को इस खतरे का अनुमान था इसलिए वह दिल्ली जाते हुए आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंप गए ताकि पटेल समुदाय भी खुश रहे और अपनी कर्मभूमि पर उनकी राजनीतिक पकड़ भी बनी रहे लेकिन हार्दिक पटेल ने 50 दिन के अंदर नरेंद्र मोदी के 50 साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। अपने कार्यकाल में भी मोदी जी 9 लाख लोगों की कोई रैली नहीं कर सके जबकि हार्दिक पटेल ने उनके गढ़ अहमदाबाद में यह कारनामा कर दिखाया। उस पटेल समुदाय ने जो न्यूयॉर्क से लेकर दुबई तक मोदी की ताल पर कथक करता था दिनदहाड़े उन्हें तारे दिखला दिए। अक्टूबर में जब मोदी जी अमेरिका जाएंगे तो पटेल समाज काले झंडे के साथ उनका स्वागत करेगा। हार्दिक ने अपने नामानुसार अहमदाबाद के रैली में मोदी जी का ऐसा हार्दिक अपमान किया की नीतीश और लालू तो दूर केजरीवाल और राहुल गांधी भी पीछे रह गए।
भाँत भाँत के जहर को मिलाकर अगर जहर का मिश्रण बनाया जाए तो उसका तोड मुश्किल हो जाता है। 22 वर्षीय हार्दिक पटेल एक ऐसा ही एक छलावा है जिसके आगे मोदी जी बेबस हैं और हाथ जोड़कर विनंती कर रहे हैं हिंसा से किसी का भला नहीं होगा। शांति बनाए रखें। मोदी जी के मुंह से यह उपदेश अच्छे नहीं लगते। हिंसा से खुद उन्होंने जितना लाभ उठाया है शायद ही किसी और ने उठाया होगा। हार्दिक के पिता भाजपा के सदस्य हैं। वह खुद किसी जमाने में कांग्रेस सेवा दल में था। वहां से बगावत करके उस ने वल्लभ भाई पटेल सेवा दल की स्थापना की। पिछले लोकसभा चुनाव में वह केजरीवाल की 'आप' का सर्मथक था और अब आरक्षण के समर्थन में एक जन आंदोलन करके मोदी जी को चुनौती दे रहा है कि यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो 2017 के अंदर गुजरात में कमल नहीं खुलेगा। हार्दिक ने कहा तो नहीं लेकिन इस बात की संभावना है कि आगामी चुनाव में गुजरात के अंदर भी दिल्ली की तरह झाडू चलेगा और भाजपा का सुपड़ा साफ हो जाएगा। क्योंकि हार्दिक के अनुसार पटेल समाज सरकार बनाना तो जानता है मगर सरकार गिराना भी जानता है।
पिछले दो मास से जारी इस संघर्ष में 80 प्रदर्शन हुए लेकिन सब शांतिपूर्ण थे। अहमदाबाद में हार्दिक को हिरासत में लिया गया और इसी के साथ यह हिंसक हो गया है। सरकार के इस कदम का कोई उचित कारण नहीं दिखता। आगजनी के बाद लाठी चार्ज हुआ और कर्फ्यू लगा दिया गया। इससे पहले हार्दिक पटेल को बहलाने फुसलाने लिए मंत्रियों की एक समिती से बातचीत के लिए बुलाया गया और प्रदर्शन रद्द करने की अपील की गई मगर वह इस झांसे में नहीं आया। इसके बाद पुलिस ने उसे बताया कि वह डीएम को अपना मांगपत्र देकर प्रदर्शन समाप्त करे।
हार्दिक जब डीएम कार्यालय की ओर चला तो 60 हजार लोग उसके साथ हो लिये। प्रशासन को उम्मीद थी कि हार्दिक ज्ञापन देने के बाद अपने घर जाकर सो जाएगा लेकिन हार्दिक वहीं धरने पर बैठ गया और एक ऐसी मांग कर डाली कि जिसने सरकार की नींद उड़ा दी। उसने कहा कि मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल खुद 48 घंटे के अंदर आकर ज्ञापन प्राप्त करें अन्यथा वे आर्मण भूख हड़ताल पर चला जाएगा। आनंदी बेन उसे अपने पास बुलाने के बजाय डीएम के पास भेजने की गलती तो पहले ही कर चुकी थीं अब एक नए जाल में फंस गईं। ज्ञापन लेने के लिए जाने से नाक कटती थी और नहीं जाने के फलस्वरूप हिंसा का खतरा था।
नरेंद्र मोदी के इशारे पर चलने वाली आनंदी बेन ने वही किया जिस की अपेक्षा थी। उन्होंने सुलह के बजाय प्रतिरोध का रास्ता चुना और अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। यह एक शोध का विषय है कि 50 दिनों तक शांतिपूर्ण चलने वाला प्रर्दशन अचानक हिंसक कैसे हो गया? हो सकता है कि यह उसे बदनाम करके इस पर पुलिस कार्रवाई को मान्यता देने की साजिश का नतीजा हो। बर्मा के मुसलमानों की खातिर मुंबई में होने वाले मुसलमानों के प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए मुट्ठी भर बदमाशों की मदद से जो खेल कांग्रेस ने खेला वह भाजपा भी खेल सकती है। अब यह हाल है कि हार्दिक हिरासत में है। बड़ौदा और अहमदाबाद में इंटरनेट तो दूर फोन लाइन तक बंद है।
 13 वर्ष बाद गुजरात फिर एक बार जल उठा है। यह आग कहाँ तक फैलेगी यह कोई नहीं जानता। गुजरात की राजधानी सहित 12 से अधिक शहर हिंसा की शिकार हैं। 125 वाहन जलाए जाने की खबर है। 16 पुलिस थानों को आग लगाई जा चुकी है। मेहसाना जिले में जहां से मोदी, अमित शाह और आनंदी बेन का संबंध है सबसे अधिक प्रभावित है। यहां ग्रहराज्यमंत्री रजनी पटेल के घर के लोगों ने फूंक दिया और कई मंत्रियों के घर और कार्यालयों जलकर राख हो चुके हैं। मोदी के चुनावी क्षेत्र बड़ौदा के भाजपा विधायक और सांसद दोनों के कार्यालयों को जलाकर उन्हें आईना दिखला दिया गया है। गांधीनगर समेत कई शहरों में कलेक्टर और एसपी कार्यालय में आग लगा दी गई है।
इन स्थानों पर आगजनी से पहले दमकल कार्यालयों को भीड़ ने घेर लिया ताकि वह अपना काम न कर सकें। ऐसा लगता है कि मोदी जी द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण का उपयोग पटेल समाज बड़ी चतुराई के साथ उनकी सरकार के खिलाफ कर रहा है। कई शहरों में ट्रेन की पटरियों को उखाड़ दिया गया है। पटेल युवा हार्दिक के इस आवाहन पर कार्यवंत हैं कि यदि हमें अपना अधिकार नहीं दिया गया तो हम उसे छीन लेंगे। हार्दिक ने यह भी कहा कि हम गांधी और पटेल के वंशज हैं लेकिन यदि भगत सिंह बन गए तो रावण की लंका में आग लगा देंगे और सच तो यह है मोदी जी भी रावण की तरह असहाय अपनी श्रीलंका को जलता देख रहे हैं।
 हार्दिक के अनुसार पटेलों की जनसंख्या गुजरात में तो दो करोड से कम है लेकिन देश भर में वह 27 करोड हैं। लोकसभा में 170 सदस्यों का संबंध पटेल समाज से है। उसने यह खुलासा भी किया है कि नायडू और नीतीश भी पटेल हैं। एनडीए के अंदर पटेलों के दो राजनीतिक गट अपना दल और राष्ट्रीय समता पार्टी का उसने उल्लेख नहीं किया। इसके अलावा यह बात भी उल्लेखनीय है हार्दिक पटेल अपने महा क्रांति प्रदर्शन में बंदूक के साथ आया था और उसने घोषणा की कि अगर अपने अधिकारों की मांग करने के लिए युवा सड़कों पर आएं और फिर उन्हें अपने अधिकार न मिलें तो उनमें से कुछ नक्सलवादी और कुछ आतंकवादी बन जाएंगे। नक्सलवाद और आतंकवाद को इस तरह खुले आम औचित्य प्रदान करने के लिये हार्दिक पटेल हार्दिक बधाई के पात्र हैं। बाबरी मस्जिद से लेकर गुजरात के दंगों तक हर आतंकवाद को संघ परिवार सार्वजनिक भावनाओं का उन्माद बताकर वैध ठहराता रहा लेकिन अब हार्दिक पटेल ने कांटे से कांटा निकाला है।
हार्दिक पटेल की मांगों को स्वीकार करना भाजपा के लिए बहुत आसान नहीं है। गुजरात में सक्रिय क्षत्री ठाकोर सेना ने इस मांग की निंदा करते हुए कहा कि यदि पटेल 12 प्रतिशत हैं हम 78 प्रतिशत हैं अगर सरकार ने पटेलों को एक प्रतिशत आरक्षण भी दिया तो 2017 दूर की बात है हम इसी साल सरकार को उखाड़ देंगे । सरकार की नीयत पर शक करते हुए अलपेश ठाकोर ने कहा संभव है सरकार इस बहाने से आरक्षण खत्म करना चाहती हो। उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य जाति (सवर्ण) के लोगों ने मुसलमानों को हमारा दुश्मन बना कर पेश किया और पिछड़े समाज को उनसे लड़ा दिया लेकिन अब हमें पता चल गया है कि मुसलमान भी पिछड़े हैं। वह हम में से हैं। हमें इस बात का आभास हो गया है कि हमारे असली दुश्मन वह लोग हैं जो हमसे आरक्षण का अधिकार छीन लेना चाहते हैं।
 हार्दिक पटेल एक यथार्थवादी युवा है। उसे पता है कि आरक्षण के खिलाफ चलने वाला आंदोलन सफल नहीं हो सकता क्योंकि हिन्दू समाज की आधार शीला जाति पर है और तमाम राजनीतिक दल जाति की राजनीति करते हैं। ऐसे में दूसरों को आरक्षण से वंचित करने के लिए हाथ-पैर मारने के बजाय खुद भी इससे लाभ उठाना बेहतर विकल्प है। पटेल समुदाय की ओर से आरक्षण की मांग ने मोदी जी के गुजरात मॉडल की पोल खोल दी है। यदि पटेल भी पिछड़े हैं तो आखिर गुजरात में विकास किसने किया है? क्या केवल अडानी, अंबानी, टाटा और बिड़ला की समृद्धि पूरे गुजरात के विकसित होने का संकेत है। पटेल समाज यदि वास्तव में समृद्ध होता तो इस आंदोलन को ऐसी मान्यता नहीं मिलती। यह तो अंदर ही अंदर पकने वाले ज्वालामुखी का अचानक फट जाना है। इस लावे को लंबे समय तक परोपगंडा के छल से मोदी जी ने ढाँपे रखा।
पटेल मुख्य रूप से किसान लोग हैं। इन लोगों ने कृषि से जो कुछ कमाया उसे छोटे और औसत दर्जे के उद्योगों में लगाया लेकिन मोदी जी के विकासशील गुजरात ने जब बड़े उद्योगों की ओर केंद्रित हो गया तो ये लोग उपेक्षित हो गए। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार गुजरात के छोटे और औसत दर्जे की कुल दो लाख 61 हजार इकाइयों में से 48 हजार बीमार हैं। इसके बावजूद मोदी जी को बिहार तो बीमारु दिखाई देता है गुजरात नहीं। इन उद्योगों में 21 लाख लोग काम करते हैं जिनमें बड़ी संख्या पटेल समुदाय की है और उनमें से ज्यादातर बेरोजगार हो चुके हैं। सूरत में हीरे का व्यापार पटेल समुदाय के हाथ में है लेकिन पिछले 6 महीनों से वहां मंदी छाई हुई है इसलिए लगभग 150 कारखाने बंद हो गए हैं जिससे 10 हजार लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी। सूरत में हार्दिक पटेल की रैली में जो 5 लाख लोग शरीक हुए थे उसके पीछे यही कारण था। हार्दिक के अनुसार अब तक गुजरात में 6000 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं मगर अब अगर एक भी किसान मरेगा तो सारा देश इसकी कीमत चुकाएगा। यह जमीनी स्थिति है जिस ने पटेल समाज को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है।
सेल्फी मास्टर मोदी जी और उनके के भक्तों पर श्रेय लेने का उन्माद सवार है इसलिए पिछले सप्ताह तक कुछ लोग यह कहते हुए पाए गए कि आनंदी बेन पटेल को सत्ता से बेदखल करने की खातिर यह मोदी की चाल है। यदि आनंदी बेन भी शिवराज चौहान या विजय राजे सिंधिया की तरह मजबूत नेता होतीं जिन्हों ने दो बार अपने बूते पर असाधारण चुनाव जीत दर्ज करवाई है तो यह बात ठीक लगती लेकिन आनंदी बेन को नामित किए जाने तक किसी उनका नाम भी नहीं सुना था और फिर उस गुजरात में जहां मोदी जी ने अपने वफ़ादार एक एक खतरनाक पुलिस अधिकारी को जेल से निकाल कर महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिया है तथा संजीव भट्ट जैसे अधिकारियों को ठिकाने लगा दिया है किसी भी नेता को हिरेन पंड्या जैसे अंजाम तक पहुंचाना कोई मुश्किल काम नहीं है। पहले कम से कम सीबीआई की जांच में कुछ तथ्य सामने आ जाते थे लेकिन अब तो वह संभावना भी समाप्त हो चुकी है इसलिए आनंदी बेन को घर भेजने के लिये ऐसे किसी आंदोलन की अवश्यक्ता नहीं बल्कि एक मामूली इशारा काफी है।
शासकों के अत्याचार जब अपनी हदों से गुजरता है तो नियति अपने अनोखे ढंग से बदला लेती है। अपने युग के सबसे बड़े मूर्तिकार के पालने में विश्व के महानतम मूर्तिपूजा के विरोधक इब्राहीम खलीलुल्लाह पैदा होते हैं। फिरौन की फ़िरऔनियत के उन्मूलन के लिए उठने वाले मूसा क्लीमुल्लाह का पोषण प्रबंधन फिरौन के महल में कर दिया जाता है। शायद ऐसा ही कुछ हमारे देश में होने जा रहा है मोदी जी का तोड़ प्रस्तुत करने में जब सारे राज्य विफल हो गए तो खुद गुजरात में हार्दिक पटेल ने जन्म लिया और उनके गोरखधंधे को माल्या मैट कर दिया। इसी बात का पवित्र कुरान में कुछ इस तरह से वर्णन हुआ है कि '' और यदि अल्लाह मनुष्यों के एक गिरोह को दूसरे गिरोह के द्वारा हटाता न रहता तो धरती की व्यवस्था बिगड़ जाती, किन्तु अल्लाह संसारवालों के लिए उदार अनुग्राही है  '' (1:251)

No comments:

Post a Comment